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श्रीरामलला के ललाट पर सूर्य तिलक का सफल परीक्षण किया गया लोग जानने के लिए उत्सुक हैं सूर्य तिलक है क्या

भोपाल । रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
अयोध्या में राम मंदिर के पुजारियों ने वैज्ञानिकों की मौजूदगी में सूर्य तिलक का सफल परीक्षण किया, जिसमें 17 अप्रैल को मनाए जाने वाले रामनवमी त्योहार से पहले सूर्य की किरणें राम लला की मूर्ति के माथे पर प्रतीकात्मक रूप से अंकित होती हैं। राम नवमी के दिन सूर्य की रोशनी मंदिर के तीसरे तल पर लगे पहले दर्पण पर गिरेंगी, यहां से परावर्तित होकर पीतल की पाइप में प्रवेश करेंगी। पीतल के पाइप में लंबवत जाते हुए ये किरणें तीन अलग-अलग लेंस से गुजरेंगी। पीतल की पाइप में लगे दूसरे दर्पण से टकारकर 90 डिग्री पर पुनः परावर्तित हो जाएंगी। लंबवत पाइप के दूसरे सिरे पर लगे दर्पण से टकराकर किरणें पुनः 90 डिग्री पर परावर्तित होकर क्षैतिज रेखा में चलेंगी। किरणें तीन लेंस से गुजरने के बाद लंबवत पाइप के गर्भगृह वाले सिरे पर लगे दर्पण से टकराएंगी। गर्भगृह में लगे दर्पण से टकराने के बाद किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर 75 मिमी का गोलाकार सूर्य तिलक लगाएंगी। दोपहर 12 बजे किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। इन विशेष दर्पणों का उपयोग करके आयोजित किया जाने वाले सूर्य तिलक प्रोजेक्ट के अंतर्गत राम मंदिर की दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा तक पाइप और आप्टो-मैकेनिकल सिस्टम लेंस, मिरर, रिफ्लेक्टर आदि से सूर्य की किरणों को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए उच्च गुणवत्ता के चार शीशे व चार लेंस का प्रयोग किया गया है।अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला का जो अद्भुत सूर्य तिलक रामनवमी के पावन दिन पर होगा । अयोध्या धाम में चैत्र नवरात्र की रामनवमी के अवसर पर रामलला के मस्तक पर ठीक 12 बजे सूर्य से किया जाएगा तिलक; भक्तगण इस भव्य और मनोरम दृश्य को क़रीब 5 मिनट तक देख सकेंगे। राम मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव के अनुसार राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से निर्धारित होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि शुभ अभिषेक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो, 19 गियर की विशेष व्यवस्था की गई है। गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है।

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